इस दृष्टिकोण को कहेंगे मील का पत्थर
डॉ हेमंत कुमार
सान्ताक्लाज से------।
सबके
दुनिया भर के बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आओ ।
हमें नहीं चाहिए
कोई उपहार
कोई गिफ्ट
कोई खिलौना रंग बिरंगा
आपसे
हमें तो बस
किसी बच्चे की
पुरानी फटी गुदड़ी
या फ़िर कोई
उतरन ही दे देना
जो इस हाड़ कंपाती
ठंडक में
हमें जिन्दा रख सके ।
दुनिया भर के बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आओ ।
हमें नहीं चाहिए
कोई उपहार
कोई गिफ्ट
कोई खिलौना रंग बिरंगा
आपसे
हमें तो बस
किसी बच्चे की
पुरानी फटी गुदड़ी
या फ़िर कोई
उतरन ही दे देना
जो इस हाड़ कंपाती
ठंडक में
हमें जिन्दा रख सके ।
हमारी असमय
बूढी हो चली माँ
झोपडी के कोने में
टूटी चरपैया पर पडी
रात रात भर खों खों खांसती है
बस एक बार
आप उसे देख भर लेना
सुना है
आपके
देख लेने भर से
बड़े से बड़े असाध्य
रोग के रोगी
भी ठीक हो जाते हैं ।
बूढी हो चली माँ
झोपडी के कोने में
टूटी चरपैया पर पडी
रात रात भर खों खों खांसती है
बस एक बार
आप उसे देख भर लेना
सुना है
आपके
देख लेने भर से
बड़े से बड़े असाध्य
रोग के रोगी
भी ठीक हो जाते हैं ।
हमारी बडकी दीदी
तो अम्मा के हिस्से
का काम करने
कालोनियों में जाते जाते
पता नहीं कब
अचानक ही
अनब्याही माँ बन गयी
पर छुटकी दीदी के हाथ
हो सके तो
पीले करवा देना ।
हमारे हाथों में
साइकिलों स्कूटरों कारों के
नट बोल्ट कसते कसते
पड़ गए हैं गड्ढे (गांठें)
अगर एक बार
छू भर लोगे आप
तो शायद हमारी पीड़ा
ख़तम नहीं तो
कुछ काम तो जरूर हो जाएगी ।
तो अम्मा के हिस्से
का काम करने
कालोनियों में जाते जाते
पता नहीं कब
अचानक ही
अनब्याही माँ बन गयी
पर छुटकी दीदी के हाथ
हो सके तो
पीले करवा देना ।
हमारे हाथों में
साइकिलों स्कूटरों कारों के
नट बोल्ट कसते कसते
पड़ गए हैं गड्ढे (गांठें)
अगर एक बार
छू भर लोगे आप
तो शायद हमारी पीड़ा
ख़तम नहीं तो
कुछ काम तो जरूर हो जाएगी ।
चलते चलते
एक गुजारिश और
प्यारे सान्ताक्लाज़
हमारी बस्ती को तो
रोज़
उजाडा जाता है
हम प्रतिदिन
उठा कर फेंके जाते gSa
फूटबkल के मानिंद
शहर के एक कोने से दूसरे
दूसरे से तीसरे
तीसरे से चौथे
और उजkडे जाने की यह
अंतहीन यात्रा है
की ख़तम ही नहीं होती ।
एक गुजारिश और
प्यारे सान्ताक्लाज़
हमारी बस्ती को तो
रोज़
उजाडा जाता है
हम प्रतिदिन
उठा कर फेंके जाते gSa
फूटबkल के मानिंद
शहर के एक कोने से दूसरे
दूसरे से तीसरे
तीसरे से चौथे
और उजkडे जाने की यह
अंतहीन यात्रा है
की ख़तम ही नहीं होती ।
चलते चलते
भागते भागते
हम हो चुके हैं पस्त/क्लांत/परास्त
भागते भागते
हम हो चुके हैं पस्त/क्लांत/परास्त
सान्ताक्लाज़
हो सके तो हमारे लिए भी
दुनिया के किसी कोने में
एक छोटी सी बस्ती
जरूर बना देना ।
सबके
दुनिया भर के
बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आना ।
000000
हो सके तो हमारे लिए भी
दुनिया के किसी कोने में
एक छोटी सी बस्ती
जरूर बना देना ।
सबके
दुनिया भर के
बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आना ।
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