दिशाएँ अनगिनत
पर रुकावट भी सहस्त्र
ईश्वर देता है
पर प्रयास का अर्घ्य भी माँगता है
कोई इसे हां मान लेता है
कोई जीत की आहटें पाता है
दुनिया दो है ....... एक प्रत्यक्ष
दूसरा अप्रत्यक्ष - जिसमें प्रवेश निशेध नहीं
बस सामर्थ्य और विश्वास की ज़रूरत है ....
रश्मि प्रभा
दिया बन जल रहा हूँ
रात के किनारे पर
पर एक परिधि है मेरी
जहाँ तक पहुँच कर
रुक जाता हूँ
थम जाता हूँ
और तिमिर आकाश का विस्तार
मुझे संघर्ष करने को
मजबूर कर रहा होता है
मैंने आँखें खोल रखी हैं
मगर कहाँ कुछ दिखता है
एक सीमा के बाहर
दो अलग अलग दुनिया हैं
मेरे लिए
एक दृश्य
एक अदृश्य ....
(जिसका अपना अस्तित्व है)
मैं किसे अपना जानूँ
किसे सच मानूँ
जहाँ एक ओर
शून्य विस्तार पाता जा रहा है
वहीं मेरी दृष्टि
(शायद शून्य से भी अधिक विस्तृत)
सीमाओं में सिमटी जा रही है
मैं किसे सच मानूँ
उस शून्य को
या फिर अपनी दृष्टि को ?
मैं आज भी ...
दिया बन जल रहा हूँ
रात के किनारे पर
शिवनाथ कुमार

![[profile_pic1.png]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhfnci7Ibav0Q8vaYpl85cCD1FuW-f7dGQ7JQ70tZY1CS27DwwBDTU6pcMiiFe1B6vyzFjdIj9_hhW3hi568Q8ike7OU1UTnWA3UqsUHP2IiQK90TpuJi-RnzxnbWIDKMKmEyOgWI-XzOew/s220/profile_pic1.png)
बहुत सुन्दर्..आभार्
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमैं आज भी दीया बन जल रहा हूँ...काफी उम्दा और गहरी रचना ....
जवाब देंहटाएंबस सामर्थ्य और विश्वास की ज़रूरत है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही बात कही आपने
धन्यवाद मैडम, मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए
सादर आभार!
बस सामर्थ्य और विश्वास की ज़रूरत है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही बात कही आपने
धन्यवाद मैडम, मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए
सादर आभार !
gehrai say soochay tho aise prashn uthte hai man mey........sundar rachna
जवाब देंहटाएंbahut hi gahari rachna...............
जवाब देंहटाएंमैं आज भी ...
जवाब देंहटाएंदिया बन जल रहा हूँ
रात के किनारे पर
बेहद गहन भाव ...
आभार आपका इस प्रस्तुति के लिए
मैं किसे सच मानूँ
जवाब देंहटाएंउस शून्य को
या फिर अपनी दृष्टि को ?
..सच सच को किसी परिधि में बंधना आसां नहीं ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...आभार
आदरेया आपकी यह रचना को कुछ गति देते हुए 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक किया या है।
जवाब देंहटाएंकृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर पधारें,आपकी प्रतिक्रिया का सादर स्वागत् है।
सादर