संभावनाओं के कैक्टस
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शुष्क जलाशय तट का केंकड़ा
आखिरकार
बना ही लेता है
किसी बलुआ खड्ड में
अपने संघर्ष का
शिविर घर
मस्तिष्क के मरुथल में
बलुआ हवाऐं चलती
तन रोम रोम तपता
मन धू धू कर जलता
तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद भी
कैक्टस हरे हैं
हमारी संभावनाओं के
जीवन का अगला
नया परिच्छेद लिखना चाहता हूं
करना चाहता हूँ अट्टहास
न जाने किस हथौड़ों से फोड़कर
जमा रहा हूं
पाषाण हो चुके
मन,मस्तिष्कों कों
जहां
पाषाण हैं
देवी-देवालय,पूजा-पुजारी,प्रथा-परम्परायें
वहां
सुलगा रहा हूं
बारुद अस्मिता की
डरा रहीं हैं
अपनी ही पाषाण भूमि पर
अपनी ही छायायें
अंधेरों के स्याह जंगल में भटकती हुई
पाषाण भूमि के तले
बहती है
जीवन की अविरल नदी
और हम
पाषाण भूमियों पर खड़े
प्यासे आकाश से
बारिश मांगते हैं
काश
दृष्टियां आकाशीय ऊंचाईयों पर
नहीं टिकती
अपने पैरों की जमीन को
नहीं खोदतीं
मुमकिन था
मिल जाती जीवन की अविरल नदी
तो क्यों ?
यातनायें होती
आत्मकुंठाओं से जूझते
विक्षुब्ध अंधेरों में ना जन्मते
ना अपना खून
पानी कर पी रहे होते
मर रहे हर घड़ी हम
और जीवन है कि
सरपरस्त घोषणायें करते नहीं थकता
कि
"धरती पर जिया जा रहा है जीवन बेहतर"
इस समय का सत्य यह है कि
पाषाण खंडों से
टूट-फूट कर
छोटी-छोटी गिट्टियों की
शक्ल में ढल रहें हैं
कंक्रीट बनकर
छतों-छज्जों पर चढ़ रहें हैं
हमारी महत्वकांक्षायें
आकाशीय ऊंचाइयों की ओर हैं
क्योंकि
अब भी
हरिया रहें हैं
हमारी संभावनाओं के कैक्टस ------
नाम ----- ज्योति खरे
जन्म ---- 5 जुलाई 1956
शिक्षा ----- एम.ए हिंदी साहित्य
संप्रति ----- भारतीय रेल, डीजल शेड नयी कटनी में तकनीशियन के
पद पर कार्यरत-
प्रकाशन ----- 1975 से देश की लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में
रचनायें प्रकाशित
प्रसारण ------ 1… आकाशवाणी जबलपुर में नियमित काव्य पाठ
2… दूरदर्शन में काव्य पाठ
विशेष -------- 1.... प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व अध्यक्ष
2… पाठक मंच के पूर्व संयोजक
3 … म.प्र साहित्य परिषद के रचना शिवरों में सम्मलित
सम्मान ------ 1--- प्रखर व्यंगकार सम्मान 1998
2.... मध्यप्रदेश गौरव 1995
3 … रेल राजभाषा सम्मान 1999
अद्भुत बिम्ब !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार 30 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना ।
जवाब देंहटाएंगहन दर्शन से सिक्त उत्कृष्ट रचना ! उम्मीद तो सच में हरी ही रहती है ! अत्यंत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
behad sundar... waah
जवाब देंहटाएंबेहद गहन एवं उत्कृष्ट प्रस्तुति
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