सतीश सक्सेना - http://satish-saxena. blogspot.in/
सारा जीवन किया समर्पित परमारथ में नारी ही ने , विधि ने ऐसा धीरज लिखा केवल भाग्य तुम्हारे ही में !उठो चुनौती लेकर बेटी, शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !!
द्रढ़ता हो सावित्री जैसी,
सहनशीलता हो सीता सी,
सरस्वती सी महिमा मंडित
कार्यसाधिनी अपने पति की
अन्नपूर्णा बनो, सदा ही घर की शोभा तुम्ही रहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी
नारी के सुंदर चेहरे पर,
क्रोध कभी न आने पाये
क्षमा,दया और ममता बेटी
सदा विजेता होते आये,
गुस्सा कभी पास न आये, रजनीगंधा सी मह्कोगी!
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी
स्वागत करो अतिथि का पुत्री
मुख पर ले मुस्कान सदा ही
घर के दरवाजे से तेरे ,
याचक कभी न खाली जाए
मान करोगी अगर मानिनी , महिमामयी तुम्ही दीखोगी
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी
नर नारी में परम त्याग ,की
शिक्षा देती है नारी ही ,
माता,पिता सहोदर भाई
और छोड़ती है निज घर को
भूल के बीते दिन की बातें, नयी रोशनी लानी होगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी
सारा जीवन किया समर्पित
परमार्थ में नारी ही ने ,
विधि ने ऐसा धीरज लिखा
केवल भाग्य तुम्हारे में ही
उठो चुनौती लेकर बेटी , शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी !
सार्थक और सारगर्भित रचना .....!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी ......!!
शुभकामनायें ।
सारा जीवन किया समर्पित
जवाब देंहटाएंपरमार्थ में नारी ही ने ,
विधि ने ऐसा धीरज लिखा
केवल भाग्य तुम्हारे में ही
सशक्त लेखन ... आभार इस प्रस्तुति के लिए
नर नारी में परम त्याग ,की
जवाब देंहटाएंशिक्षा देती है नारी ही ,
अच्छी लगी प्रस्तुति .............
सतीश जी के काव्य संग्रह की सबसे पसंदीदा रचना है यह .... तीनों भाग फिर से पढे ... आभार
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