एक छोटा सा परिचय .... इस नज़्म से बेहतर और क्या !
विश्व दीपक
कंजंक्टिवाईटिस है दुनिया को
उधर मत ताकना,
कंजंक्टिवाईटिस (conjunctivitis) है दुनिया को..
आँखें छोटी किए
बुन रही है
अपनी सहुलियत से हीं
रास्ता, रोड़े, रंग, रोशनी, रूह, रिश्ते... सब कुछ...
देख रही है
अपने हिसाब से हीं
तुझमें तुझे, मुझमें मुझे...
देख रही है
अभी तुझे हीं... आँखें लाल किए..
उधर मत ताकना,
बरगला लेगी तुझे भी;
बना लेगी
तुझे भी..खुद-सा हीं....
देख रही है
जवाब देंहटाएंअपने हिसाब से हीं
तुझमें तुझे, मुझमें मुझे........
बरगला लेगी तुझे भी;
बना लेगी
तुझे भी..खुद-सा हीं....
conjectivitis ek dusre se failta hai na:)
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंचलिए कोई तो सही पहचाना ....
सही कहा आपने ....
superlike
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
सादर
अनु
सच में !
जवाब देंहटाएंझक्कास !
बेहद गहन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंदेख रही है
जवाब देंहटाएंअपने हिसाब से हीं
तुझमें तुझे, मुझमें मुझे...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार आपका इसे पढ़वाने के लिए