छोटे छोटे पल
जिनमे हम ख़ुशी ढूंढते हैं
कभी ठोकर तो
कभी सवाल भी पाते हैं
कभी माँ की डांट पड़ती
तो कभी फ़ुल्ल ऑन मस्ती …
कभी वी हैव हंड्रेड्स ऑफ़ ऐन्सर्स
तो कभी सिर्फ प्रोब्लेम्स …
कभी लगता वी हैव दी पॉवर टू फेस दी वर्ल्ड
तो कभी बस एक हल्की सी हिचकिचाहट
इतना सोचना क्यूँ , जस्ट लेट गो …
क्यूंकि लाइफ यही तो है …
अपराजिता कल्याणी
Sundar Hinglish! :)
जवाब देंहटाएंOs ke boond si nirmal abhivyakti.. bilkul man ke khayaal.. spasht utre hue shabdon mein..
हटाएंबहुत सुन्दर...................
जवाब देंहटाएंसमथिंग डिफेरेंट.........
:-)
अनु
यकीनन लाईफ यही है ..
जवाब देंहटाएंकभी माँ की डांट पड़ती
जवाब देंहटाएंतो कभी फ़ुल्ल ऑन मस्ती …
जब माँ कवच हो जाती तो जमाने की खुशियां कदमों में सिमटी लगती हैं जिन्दगी में ... लाजवाब प्रस्तुति ...
सही कहा
जवाब देंहटाएंअरे वाह .... आज बिटिया है .... मन-मयूर झूम उठा .... :D
जवाब देंहटाएंइतना सोचना क्यूँ , जस्ट लेट गो …
क्यूंकि लाइफ यही तो है …
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ लाइफ यही तो है … !!
कुछ खयाल कुछ मलाल के साथ सोच की दहलीज़ पर झाँकती, झटके से बालों को पीछे फेकती, कुछ खोयी कुछ जागी सी मेट्रो ट्रेन पर सवार एक रचना ।
जवाब देंहटाएंएक अलग नज़र से लाइफ को देखना अच्छा है. सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई अपराजिता.
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