सती ने खुद को कमज़ोर जाना
अतिशय जिद्द में खुद को अग्नि में डाला
पार्वती ने भी यही समझा
पर तप की अग्नि में निखरती गयीं
बस परखना है खुद को
सुनना है ईश को
फिर देखो
तुम्हारी कोमलता में
लचीलेपन में ही परिवर्तन है ...
रश्मि प्रभा
भूल तो तुमसे भी हुई है
हे प्रभु
जब तुमने नारी को बनाया
तो क्यों उसे इतना कोमल
कमनीय बनाया कि
इस निर्मम संसार में
चहुँ ओर पसरे दरिंदों से
अपनी रक्षा करने में
वह कमज़ोर पड़ जाती है ,
और फिर जीवनपर्यंत एक
अकथनीय वेदना और
शर्मिंदगी के बोझ तले
अपने ही मन के गह्वर में
कहीं गहराई तक नीचे
गढ़ जाती है !
तुमने जब उसका
करुणा से ओत-प्रोत
अत्यंत कोमल ह्रदय
बनाया था तो साथ ही
उसमें हिमालय सा अटल
अडिग और वज्र सा कठोर
निर्णय लेने का हौसला भी
दिया होता ताकि वह
अविचलित हो
अपने अपराधियों का
सटीक न्याय कर पाती ,
और हर आताताई को
अपने समक्ष
घुटने टेकने के लिए
विवश कर पाती !
तुमने जब उसके नयनों में
बहाने के लिए
अगाध प्यार, ममता और
करुणा का गहरा सागर
भर दिया तो उसके
नैनों के तरकश में
अनवरत रूप से चलने वाले
अक्षय अग्नेयास्त्र भी
क्यों नहीं भर दिये
कि वह हर पापी को उसके
पाप का दण्ड वहीं दे
न्याय कर पाती ,
और ऐसे कई असुरों को
अपने अग्निबाणों से
भस्म कर इस धरा को
पापियों से मुक्त कर पाती !
तुमने जब संसार के
सबसे बड़े वरदान
मातृत्व का सुख उठाने के लिए
उसके शरीर में कोख बनाई
तो क्यों नहीं उसके शरीर में
ऐसी शक्तिशाली
विद्युत तरंगें भी डाल दीं
कि गंदे इरादों से उसे स्पर्श
करने वालों को छूते ही
कई हज़ार वाट का
झटका लग जाता
और वह वहीं का वहीं
ढेर हो जाता ,
और यह संसार एक
हिंसक एवं आक्रामक
आदमखोर पशु के बोझ से
उसी वक्त हल्का हो जाता !
बोलो प्रभु
मानते हो ना
भूल तो तुमसे भी हुई है !
है ना?
साधना वैद
बहुत सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंआभार रश्मि दी.
अनु
बेहतरीन अभिव्यक्ति ... आभार इसे पढ़वाने के लिए
जवाब देंहटाएंबोलो प्रभु
जवाब देंहटाएंमानते हो ना
भूल तो तुमसे भी हुई है !
है ना?
===================
भूल तो हुई है....
क्या करें ?
इतनी कलाकृति बनानी थी ,
थोड़ी चुक तो लाजमी था ....
नारी की रचना , नारी तो की नहीं .... !!
रश्मिप्रभा जी आभारी हूँ आपकी जो आपने आज मेरी रचना का चयन किया ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! पाठकों की चेतना को थोड़ा सा उद्वेलित कर दे यह रचना तो मेरा लिखना सफल हो जाये !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंतो क्यों नहीं उसके शरीर में
जवाब देंहटाएंऐसी शक्तिशाली
विद्युत तरंगें भी डाल दीं
कि गंदे इरादों से उसे स्पर्श
करने वालों को छूते ही
कई हज़ार वाट का
झटका लग जाता...
आक्रोश को सही स्वर मिला !
तो क्यों नहीं उसके शरीर में
जवाब देंहटाएंऐसी शक्तिशाली
विद्युत तरंगें भी डाल दीं
कि गंदे इरादों से उसे स्पर्श
करने वालों को छूते ही
कई हज़ार वाट का
झटका लग जाता
और वह वहीं का वहीं
ढेर हो जाता ,
और यह संसार एक
हिंसक एवं आक्रामक
आदमखोर पशु के बोझ से
उसी वक्त हल्का हो जाता !
बोलो प्रभु
मानते हो ना
भूल तो तुमसे भी हुई है !
है ना?..ha iishvr se yah bhuul uii hai ..mai maanta hun .nice poem