बुधवार, 4 नवंबर 2015

मील के पत्थर (५)




जीवन में हास्य हो तो मकसदों के रास्ते लहूलुहान होकर भी मंज़िल को पाते हैं  … एक नन्हीं मुस्कान बहुत ताकतवर होती है !

आज इस मीलों की जीत में एक नन्हीं मुस्कान दे रही हैं -
सुनीता शानू 


व्यंग्य नरक में डिस्काऊंट ऑफ़र का कविता रुप



सेल की दुकान देखते देखते
एक आदमी 
नरक के दरवाजे आ गया
यमराज को देख घबरा गया
बोला हे महाराज
इतनी जल्दी क्यों मुझे बुलाया
अभी तो मेरा समय नही आया
यमराज बोला 
तुम्हें बुलाया नही गया है
तुम खुद चले आये हो 
लालच मे फ़ँस कर
हमने जो नाइनटी पर्सेंट ऑफ़र का
बोर्ड लगाया
ऎ मानव तूं उसी में फँसा आया
पर हुजूर नरक तो है यातना गृह जैसा
फिर ये ऑफ़र ये डिस्काऊँट कैसा???
यम्रराज झल्लाया
अरे क्या हमे मूर्ख समझ रखा है
तुम रोज अपनी रणनीति बदलते हो
नये-नये ऑफ़र देते हो
और तो और सुना है
आजकल तुहारी जेलो मे
कैदियों को मोबाईल से लेकर एसी तक
सारे सुख मिलते हैं
तुमने चोरो अपराधियों को इतना सम्मान दिया है कि
आजकल वो टी वी पर दिखते हैं 
छोटे चोर हो या बड़े चोर
सब अपना कैरियर बनाते हैं
इसीलिये हमने
ये तरीका अपनाया है
सेल का ऑफ़र दे
तुम्हें बुलाया है
और सोच विचार कर
विशेष फ़ेसिलिटी देने का निश्चय किया है
ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग परिवार सहित
नरक मे आयेऔर 
हमारे नरक का नाम रोशन करें
अच्छा ऎसी बात है
तो क्या ऑफ़र है बताईये
यमराज बोला
जवान आने वाले के साथ
एक के साथ एक फ़्री होगा
रूम विद अकोमोडेशन मिलेगा
फ़ार्म धरती पर भिजवा दिये गये हैं
जो जल्दी भर देगा उसका नम्बर पहला
आदमी फोरन रहने के लिये तैयार हो गया
बोला मै तो शरीफ़ आदमी हूँ सरकार
चोरो के लिये वार्ड अलग बने होंगे न
उन्हे तो आप जरूर यातना ग्रह में डालेंगे
यमराज बोला अरे मानव 
तू सचमुच पक्का बिजनेस मैन है रे
तेरी धरती पर भी
क्या चोरो का मुह काला होता है
क्या अब भी उन्हे गधे पे बिठाया जाता है
आजकल चोर तो वाह वाह करते नजर आते हैं
चोरी करके इनाम पाते है
चोरो के करिश्मे इतने मशहूर हुए हैं
कि चोर सेलिब्रिटी बन जाते हैं
जब तुम्हे चोरो को अपनाने में एतराज नही तो हमें क्यूं होगा
हमने फ़ैसला किया है
धरती के जैसे ही यमराज की जेल
पूरी तरह से सुख सुविधाओं से लैस होगी
ताकि प्रकृति के नियम को न बदले आदमी
समय-समय पर नरक में भी आ जा सके
आदमी खुशी से झूम उठ
पूरे परिवार के साथ स्पेशल डिस्काऊँट पा गया
धरती से दौड़ता हुआ नरक में आ गया 


अठन्नी तो बचाओ (चवन्नी प्रकरण)



सुबह-सुबह की खबर पर
पड़ी जब नज़र
प्यारे ने पुकारा
प्रभु! तेरा ही सहारा...
आज संसार का तुमने
क्या हाल कर दिया
मंहगाई को जवान
और
प्याज को बदनाम कर दिया

कितने सुखी थे हम
इकन्नी दुअन्नी के जमाने में
एक उम्र बीत गई थी
चवन्नी कमाने में
आज उसी चवन्नी को
कर दिया आऊट
क्या आयकर विभाग को था
मेरी चवन्नी पर डाऊट?

हे सर्वशक्तिमान
कोई उपाय बतलायें
सरकारी चंगुल से मेरी
चवन्नी को छुड़वायें...

सुनकर प्यारे की चिल्ल पौं
पत्नी दौड़ी आई
तुमको भी न प्यारे जी
कभी अकल न आई
बेवजह इतना चिल्लाते हो
सुबह सुबह बेचारे
पडौसियों को जगाते हो...

सुनकर पत्नी की फ़टकार
प्यारे लाल बोले
सुनो मेरी सरकार
क्या जमाना आ गया
मेरी चवन्नी को ही
खा गया...

पत्नी बोली प्यारे जी
चवन्नी तो जाने कब से
खो गई थी बाज़ारों में
लुटते-लुटते लुट गई थी
भिखमंगों की कतारों में
और अब तो
भिखमंगो ने भी पल्लू छुड़ा लिया
जाने कबसे
सम्पूर्ण चवन्नी को ही गटका लिया

चवन्नी का तो बस
रह गया था नाम
अस्तित्व तो कबका
सिमट गया श्रीमान...

प्यारे हुए परेशान बोले भाग्यवान
चवन्नी भर की चवन्नी ने
कितनी दौड़ लगवाई थी
तब जाके एक चवन्नी
अपनी जेब में आई थी।
इस छोटी सी चवन्नी ने
कितनों को बना दिया
चवन्नी छाप
कैसे भूल गई हैं
 इसकी गरिमा को आप?

रोते हुए प्यारे को
पत्नी ने समझाया
चवन्नी खोने का गम
है उसे भी बतलाया

जो होना था हुआ प्यारे मोहन
खुद को अब समझाओ
हो सके तो अपनी
अठन्नी को बचाओ...

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