सतीश सक्सेना
कैसी होती है माँ ...??
कई बार रातों में उठकर
दूध गरम कर लाती होगी
मुझे खिलाने की चिंता में
खुद भूखी रह जाती होगी
मेरी तकलीफों में अम्मा, सारी रात जागती होगी !
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी !
सुबह सबेरे बड़े जतन से
वे मुझको नहलाती होंगी
नज़र न लग जाए, बेटे को
काला तिलक, लगाती होंगी
चूड़ी ,कंगन और सहेली, उनको कहाँ लुभाती होंगी ?
बड़ी बड़ी आँखों की पलके,मुझको ही सहलाती होंगी !
सबसे सुंदर चेहरे वाली,
घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की !
सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !
वाह माँ होती है ऐसी है , माँ के जैसा कोई भी नहीं है बेहद सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंचाहे जितना भी कह लो ....माँ के आशीषों , उसके स्नेह को कोई शब्दावली....पूर्णरूपसे वर्णित नहीं कर सकती ....बहुत कुछ फिर भी अनकहा ही रह जाता है ......
जवाब देंहटाएंmaa aisi hi hoti hai......maa ki barbari koi nahi kar sakta
जवाब देंहटाएंमाँ की याद दिलाने के लिए आपका आभार रश्मि जी,
जवाब देंहटाएं३ साल का था मैं, जब भगवान ने उन्हें मुझसे अलग कर दिया था , उनका कोई चित्र अथवा स्वरुप भी नहीं है मेरे पास :(
बचपन में जब मंदिर जाता
कितना शिवजी से लड़ता था?
छीने क्यों तुमने ? माँ, पापा
भोले से नफरत करता था !
क्यों मेरा मस्तक झुके वहां, जिसने माँ की ऊँगली छीनी !
मंदिर के द्वारे बचपन से, हम गुस्सा होकर बैठे हैं !
एक दिन सपने में तुम जैसी,
कुछ देर बैठकर चली गयी ,
हम पूरी रात जाग कर माँ ,
बस तुझे याद कर रोये थे !
इस दुनिया से लड़ते लड़ते , तेरा बेटा थक कर चूर हुआ !
तेरी गोद में सर रख सो जाएँ, इस चाह को लेकर बैठे हैं !
माँ के बारे में जितना लिखा जाए वह कम होगा..
मैं, यह कविता लिखने के बाद, इसे कभी पूरी नहीं पढ़ पाया ........
मां और मां के स्नेह को शब्दों में व्यक्त करते भाव हमेशा अपने लगते हैं ...
जवाब देंहटाएंमाँ होती ही ऐसी है ..भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी और सतीश जी आप दोनों को धन्यवाद. माँ की अनंत कृपा की याद दिलाने केलिए . कहना चाहूँगा - कटोरी के थोड़े से पानी me जैसे अनंत आकाश दिखाई देता है ठीक वैसे आपकी कवितायों में माँ की अनंत महिमा का दर्शन हुआ. आभार.
जवाब देंहटाएंसतीश जी की यह रचना मन को छू जाती है
जवाब देंहटाएंसार्व जनीन सर्कालिक सार्वत्रिक चित्र है यही माँ का .किसकी इस छवि से तदानुभूति न होगी .
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