कुछ लोग लिखते नहीं
नुकीले फाल से
सोच की मिट्टी मुलायम करते हैं
शब्द बीजों को परखते हैं
फिर बड़े अपनत्व से उनको मिट्टी से जोड़ते हैं
उम्मीदों की हरियाली लिए
रोज उन्हें सींचते हैं
एक अंकुरण पर सजग हो
पंछियों का आह्वान करते हैं
पर नुकसान पहुँचानेवाले पंछियों को उड़ा देते हैं
कुछ लोग -
प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं
ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे
जीवन की उपासना में
उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं
.....
कुछ लोग लिखते नहीं
शब्दों के करघे पर
भावों के सूत से
ज़िन्दगी का परिधान बनाते हैं
जिनमें रंगों का आकर्षण तो होता ही है
बेरंग सूत भी भावों के संग मिलकर
एक नया रंग दे जाती है
रेत पर उगे क़दमों के निशां जैसे !...
रश्मि प्रभा
सच्चे कवि लिखते नहीं
अपने शब्दों से खरीद ली थी
कुछ रोटियां
कुछ ज़ज्बात
वो ज़ज्बात
आंसू बन गिरे थे
मेरे काँधे पर,
कमीज के रेशों में कही खो गए.
वो रोटी
हलक से नीचे ना उतर पायी
कितनी बार ...........बनाया
गले को बहरूपिया
तब जाके वो कौर, निगल पाया.
मान बैठा था खुद को रचयिता
कवि, गज़ब का.
बुजुर्गों ने समझाया भी--
सच्चे कवि लिखते नहीं
रचयिता कुछ रचता नहीं.
उस चिलम फूंकते बुड्ढे ने कहा था--
शब्दों के सूअर, समय कसाई हैं
काट देगा.
मुझे याद हैं
भीड़ से हटके खड़े, उस बच्चे की चीख
तालियों की गूंज में
कही खो गयी थी.
लगातार घूरता जा रहा था
अपनी क्षोभ भरी आँखों से मुझे.
उसने फेंका भी था
अपने ज्वर ग्रस्त हाथो से एक पत्थर
मेरी तरफ.
धन्यभाग, मेरी कुर्सी कुछ ऊँची थी
मैं बच गया.!
आज सालो बाद
जाने कहा से वो पत्थर लग गया.
अपने एहसासों के कन्धों पर
जा रहा हूँ मरघट तक
जलूँगा आज अपने ही वर्कों में
समय कसाई था, मुझे काट दिया
आज ये बोध हुआ,
में फकत शब्द हूँ , कवि नहीं
क्योंकि ....
कवि कभी मरता नहीं
-अहर्निशसागर-
वाह ...लोग कैसे इतना अच्छा लिख लेते हैं ...वह शब्द ..वह भाव ...कौनसी दुनिया से लाते हैं
जवाब देंहटाएंअहर्निशसागर- जी और रश्मि प्रभा जी
जवाब देंहटाएंmeri khamoshi ka pranaam Aharnish sagar ko..
जवाब देंहटाएंजहाँ से आप लाती हैं शब्द सरस जी
जवाब देंहटाएंकिसी ने अपनी खामोशी का प्रणाम भेजा है किसी ने शब्दों का पता पूछा है
जवाब देंहटाएंअब मुझे नहीं पता कि क्या भेजूं और क्या पूछूं....
जैसे सच्चे कवि लिखते नहीं वैसे ही शायद सच्चे प्रशंसकों को भी ज्यादा नहीं बोलना चाहिए....हा हा हा हा हा
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...अहर्निश को बधाई...आपका आभार !!
जवाब देंहटाएंअहर्निश सच्चा कवि है ....और लिखता भी है .....जीता भी है
जवाब देंहटाएंवाह: बहुत सुन्दर भाव उतने ही सुन्दर शब्द..आभार.
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएँ बहुत अच्छी ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा ...आप ने जो कहा वो और ....अहर्निश ने जो कहा वो ...दोनों मुकम्मल रचनायें ......फिर से पढूंगी ....तसल्ली से ...मुझे मेल कीजिये ना ....दोनों .....!!!
जवाब देंहटाएंदोनो ही रचनाएं अच्छी लगीं।
जवाब देंहटाएंbahut hi bhavpoorn rachnayein..................
जवाब देंहटाएंअपने एहसासों के कन्धों पर
जवाब देंहटाएंजा रहा हूँ मरघट तक
जलूँगा आज अपने ही वर्कों में
समय कसाई था, मुझे काट दिया
आज ये बोध हुआ,
में फकत शब्द हूँ , कवि नहीं
क्योंकि ....
कवि कभी मरता नहीं
....
कुछ लोग -
प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं
ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे
जीवन की उपासना में
उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं
..... बिल्कुल सही कहा आपने ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
आप सब के स्नेह के लिए आभारी हूँ
जवाब देंहटाएं_aharnishsagar
खूबसूरत अहसास....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
:-)