शनिवार, 25 अगस्त 2012

सच्चे कवि लिखते नहीं




कुछ लोग लिखते नहीं
नुकीले फाल से
सोच की मिट्टी मुलायम करते हैं
शब्द बीजों को परखते हैं
फिर बड़े अपनत्व से उनको मिट्टी से जोड़ते हैं
उम्मीदों की हरियाली लिए
रोज उन्हें सींचते हैं
एक अंकुरण पर सजग हो
पंछियों का आह्वान करते हैं
पर नुकसान पहुँचानेवाले पंछियों को उड़ा देते हैं
कुछ लोग -
प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं
ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे
जीवन की उपासना में
उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं
.....
कुछ लोग लिखते नहीं
शब्दों के करघे पर
भावों के सूत से
ज़िन्दगी का परिधान बनाते हैं
जिनमें रंगों का आकर्षण तो होता ही है
बेरंग सूत भी भावों के संग मिलकर
एक नया रंग दे जाती है
रेत पर उगे क़दमों के निशां जैसे !...


रश्मि प्रभा

सच्चे कवि लिखते नहीं


अपने शब्दों से खरीद ली थी
कुछ रोटियां
कुछ ज़ज्बात

वो ज़ज्बात
आंसू बन गिरे थे
मेरे काँधे पर,
कमीज के रेशों में कही खो गए.
वो रोटी
हलक से नीचे ना उतर पायी
कितनी बार ...........बनाया
गले को बहरूपिया
तब जाके वो कौर, निगल पाया.

मान बैठा था खुद को रचयिता
कवि, गज़ब का.

बुजुर्गों ने समझाया भी--
सच्चे कवि लिखते नहीं
रचयिता कुछ रचता नहीं.
उस चिलम फूंकते बुड्ढे ने कहा था--
शब्दों के सूअर, समय कसाई हैं
काट देगा.

मुझे याद हैं
भीड़ से हटके खड़े, उस बच्चे की चीख
तालियों की गूंज में
कही खो गयी थी.
लगातार घूरता जा रहा था
अपनी क्षोभ भरी आँखों से मुझे.
उसने फेंका भी था
अपने ज्वर ग्रस्त हाथो से एक पत्थर
मेरी तरफ.

धन्यभाग, मेरी कुर्सी कुछ ऊँची थी
मैं बच गया.!

आज सालो बाद
जाने कहा से वो पत्थर लग गया.

अपने एहसासों के कन्धों पर
जा रहा हूँ मरघट तक
जलूँगा आज अपने ही वर्कों में

समय कसाई था, मुझे काट दिया
आज ये बोध हुआ,
में फकत शब्द हूँ , कवि नहीं
क्योंकि ....
कवि कभी मरता नहीं


-अहर्निशसागर-

15 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ...लोग कैसे इतना अच्छा लिख लेते हैं ...वह शब्द ..वह भाव ...कौनसी दुनिया से लाते हैं

    जवाब देंहटाएं
  2. जहाँ से आप लाती हैं शब्द सरस जी

    जवाब देंहटाएं
  3. किसी ने अपनी खामोशी का प्रणाम भेजा है किसी ने शब्दों का पता पूछा है
    अब मुझे नहीं पता कि क्या भेजूं और क्या पूछूं....
    जैसे सच्चे कवि लिखते नहीं वैसे ही शायद सच्चे प्रशंसकों को भी ज्यादा नहीं बोलना चाहिए....हा हा हा हा हा

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...अहर्निश को बधाई...आपका आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  5. अहर्निश सच्चा कवि है ....और लिखता भी है .....जीता भी है

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह: बहुत सुन्दर भाव उतने ही सुन्दर शब्द..आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही उम्दा ...आप ने जो कहा वो और ....अहर्निश ने जो कहा वो ...दोनों मुकम्मल रचनायें ......फिर से पढूंगी ....तसल्ली से ...मुझे मेल कीजिये ना ....दोनों .....!!!

    जवाब देंहटाएं
  8. अपने एहसासों के कन्धों पर
    जा रहा हूँ मरघट तक
    जलूँगा आज अपने ही वर्कों में

    समय कसाई था, मुझे काट दिया
    आज ये बोध हुआ,
    में फकत शब्द हूँ , कवि नहीं
    क्योंकि ....
    कवि कभी मरता नहीं
    ....

    कुछ लोग -
    प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं
    ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे
    जीवन की उपासना में
    उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं
    ..... बिल्‍कुल सही कहा आपने ... आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सब के स्नेह के लिए आभारी हूँ

    _aharnishsagar

    जवाब देंहटाएं
  10. खूबसूरत अहसास....
    बहुत सुन्दर रचना...
    :-)

    जवाब देंहटाएं