मेरी काम वाली बाई
सुबह आती है/काम पे
नखरे बहुत बताती है
हफ़्ते दस दिन में
पगार बढाने का
रट्टा लगाती है
साथ में लाती है
4 बच्चे अपने पीछे
जब तक वह बर्तन करती है
तब तक बच्चे हंगामा करते हैं
मजबूरी है हमारी/सहते हैं
दफ़्तर जाने की जल्दी में
हम और मियां रहते हैं
घर का काम अधिक है
इसलिए काम वाली बाई
के नखरे सहते हैं
चाय नास्ता रोटी खाना
खूब मजे उड़ाती है
4 घरों में और जाती है
धड़ल्ले से खूब कमाती है
जिस दिन मेहमान आते हैं
उस दिन छुटटी कर जाती है
तब मेरा पारा चढ जाता है
मन करता है उसे भगा दूँ
मै और मियां मिलके
सारे बर्तन घिसते हैं
काम वाली बाई के कारण
दोनो खटते पिसते हैं।
दो महीने की तनखा
एडवांस में जाती है
काम बताओ तो हमको
आँखे दिखलाती है
यूनियन का रौब जमाती है
इसे भगा दें तो
दूसरी बाई नहीं आती है
ये काम वाली बाई
इठलाती/इतराती है
प्याज के भाव से
अधिक रुलाती है।
सुधा प्रजापति
http://mitteekimahak.blogspot.in/
kaam walo ki yuniyan hoti hai kya:)..
जवाब देंहटाएंwaise hamari kaam wali bhi khub chhutti karti hai,... bahut satati hai:)
khoobsurat kavita... kaamwali ke mathav ko rekhankit karti
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत बढि़या प्रस्तुति ... आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंचाह कर भी हटाया नहीं जा सकताः)
आभार!
बहुत सुन्दर व सटीक मनोभाव
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंतेरे बिना जिया जाये ना...................बिन तेरे, तेरे बिन...साँसों में सांस आये ना.......
मन की बातें बोल वाली बात है। कामवाली बाईयों का तो सब जगह एक जैसा ही रवैया है। शहरों में ज्यादा मारा मारी है, पर अब गाँव में भी नहीं मिलती। दो रुपए किलो चावल ने सत्यानाश कर रखा है। बढिया भाव है कविता के। साधुवाद
जवाब देंहटाएंआज आई या नहीं आई ... कामवाली बाई ???
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का
ab kaam karwana hai to jhelna to padega hi ! sundar kavita
जवाब देंहटाएंये काम वाली बाई
जवाब देंहटाएंइठलाती/इतराती है
प्याज के भाव से
अधिक रुलाती है।
बहुत खूब .... कडवी है ....
लेकिन सब जगह यही सच है ....
sahi bat....
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